Haal-e-Dil (हाल-ए-दिल)
हाल-ए-दिल यूँ उन्हें सुनाया गयाआँख ही को ज़ुबां बनाया गया
ज़िन्दगी की उदास रातों कोआपकी याद से सजाया गया
इश्क़ की वह भी इक मंज़िल थीहर क़दम पर फ़रेब खाया गया
दिल पे एक वह भी हादसा गुज़राआज तक दिल से न छुपाया गया
लाख तूफ़ाँ समेट कर, या रबकिस लिए एक दिल बनाया गया