dushman na kare dost ne vo kaam kiya hai (दुश्मन ना करे दोस्त ने वो काम किया है...)
दुश्मन ना करे दोस्त ने वो काम किया है उम्र भर का गम हमें इनाम दिया है तूफां में हम को छोड़ के साहिल पे आ गये नाखुदा का हम ने जिन्हे नाम दिया है पहले तो होश छिन लिये जुल्म-ओ-सितम से दीवानगी का फिर हमें इल्ज़ाम दिया है अपने ही गिराते हैं नशेमन पे बिजलियाँ गैरो ने आ के फिर भी उसे थाम लिया है बनकर रकिब बैठे है वो जो हबीब थे यारों ने खूब फ़र्ज़ को अंजाम दिया है