Manzil hai jo | मंज़िल है जो [How far i'll go]
आके, देखूँ मै जब भी यह किनारा जैसे कोई पुकारा, ऐसा लगता है क्यों?
आती, आती-जाती हैं यह लहरेंहैं बुलाती मुझे लहरेंकोई बोले मैं क्या करूँ!
मेरा हर कदम, मेरा हर रास्ताहर मोड़ हर-दम मुझे ले चलाउसी एक जगह मुझको जो मनाचाहे दिल फिर भी
वो जहाँ आसमा-दरिया, मिल जाएकोई पूछे तो, मंज़िल है जोमेरे साथ मेरा हाथ ले चली यह पुरवाई ऐसा जो होमिले वो फिर चाहे जहाँ मेरी मंज़िल हो
यूँ तो सभी अपने यहाँ हैदेखो!देखो खुशियाँ हैंबातें सारी तय हुईं
यूँ तो सभी करते हैं वो जोउनको जो है कहा तोतो मैं भी करूँ फिर वही
सबके संग चलूँ सबको हिम्मत दूँ जैसे मैं रहूँ खुश ही रहूँ जाने क्यों जुदा है यह दिल की धुन?है क्या यह कमी?
वो जहाँ रोशनी से तरंग खिल जाएमिल जाए वो, मंज़िल है जोरोशनी मेरी राह पे भरी जो बुलातीयह तो कहो“उस पार है क्या?”मझधार है क्या?
वो जहाँ आसमा-दरिया, मिल जाएकोई पूछे तो, मंज़िल है जोमेरे साथ मेरा हाथ ले चली यह पुरवाई मिल जाए वो, मंज़िल है जो