Ae Khuda Har Faisla Tera (ऐ खुदा हर फैसला तेरा)
ऐ खुदा, हर फ़ैसला तेरा मुझे मंजूर हैंसामने तेरे तेरा बंदा बहोत मजबूर हैं
हर दुवां मेरी किसी दीवार से टकरा गयीबेअसर होकर मेरी फ़र्याद वापस आ गयीइस ज़मीन से आसमां शायद बहोत ही दूर हैं
एक गुल से तो उजड़ जाते नहीं फूलों के बागक्या हुआ तूने बुझा डाला मेरे घर का चिरागकम नहीं हैं रोशनी, हर शय में तेरा नूर हैं